संक्षिप्त परिचय

नाम : राजेन्द्र स्वर्णकार
जन्म : 21 सितंबर
पिता का नाम : स्वर्गीय श्री शंकरलालजी
माता का नाम : श्रीमती भंवरीदेवी
स्थायी पता : गिराणी सोनारों का मौहल्ला ,
बीकानेर 334001 ( राजस्थान )
ईमेल : swarnkarrajendra@gmail.com
ईमेल : shabdswarrang@gmail.com
ब्लॉग : http://shabdswarrang.blogspot.com/

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पढ़िए  और  सुनिए श्री राजेन्द्र स्वर्णकार के द्वारा रचित और स्वरबद्ध  रचना  :मन है बहुत उदास रे जोगी !

मन है बहुत उदास रे जोगी !
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मन है बहुत उदास रे जोगी !
आज नहीं प्रिय पास रे जोगी !

पूछ न ! प्रीत का दीप जला कर
कौन चला बनवास रे जोगी !

जी घुटता है ; बाहर चलती
लाख पवन उनचास रे जोगी !

अब सम्हाले' संभल न पाती
श्वास सहित उच्छ्वास रे जोगी !

पी' मन में रम - रच गया ; जैसे
पुष्प में रंग - सुवास रे जोगी !

प्रेम - अगन में जलने का तो
हमको था अभ्यास रे जोगी !

किंतु विरह - धूनी तपने का
है पहला आभास रे जोगी !

धार लिया तूने तो डर कर
इस जग से सन्यास रे जोगी !

कौन पराया - अपना है रे !
क्या घर और प्रवास रे जोगी !

चोट लगी तो तड़प उठेगा
मत कर तू उपहास रे जोगी !

प्रणय विनोद नहीं रे ! तप है !
और सिद्धि संत्रास रे जोगी !

छोड़ हमें राजेन्द्र अकेला
है इतनी अरदास रे जोगी !

- राजेन्द्र स्वर्णकार
http://shabdswarrang.blogspot.com/




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4 comments:

कडुवासच ने कहा… 24 मई 2010 को 5:23 pm बजे

...सुन्दर रचना !!

Alpana Verma ने कहा… 24 मई 2010 को 7:11 pm बजे

बहुत ही उम्दा गीत लिखा है .
बेशक राजेंद्र जी का काव्य पाठ सुनने वाले को मन्त्र मुग्ध कर देता है.बेहतरीन प्रस्तुति.

Rajeysha ने कहा… 24 मई 2010 को 7:29 pm बजे

बड़ी शरीफ और भली रचना है।

सुनील गज्जाणी ने कहा… 25 मई 2010 को 4:07 pm बजे

kya bhoob kaha hai , rajenendra jee aap ne , hamara soubhagya hai hai ki hume aap ko bahut baar aamne saamne suna hai , aur har baar aap naya rang liye nazar aate hai . sadhuwad.

 
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