ये  हैं काजल कुमार, देश के प्रतिष्ठित कार्टूनिस्ट, विगत कई वर्षों से हिंदी चिट्ठाकारी को अपने आकर्षक और तथ्यपरक कार्टून्स से समृद्ध करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं . इनका कहना है कि "पिछले कई सालों से कार्टून बना रहा हूँ. 'लोटपोट' हिन्दी बाल साप्ताहिक के लिए 'चिंम्पू' और 'मिन्नी' भी बनाये... एक अनुरोध... कार्टून आख़िर कार्टून है, आप भी किसी कार्टून को, गंभीरता से न लें...!" इनकी रूचि:- कार्टून, कुछ हिन्दी पत्रिकाएं, इन्टरनेट, आउटडोर खेल, लॉन्ग ड्राइव, ऐश करना, ढेर सारा विविध संगीत, निद्रा में है . इनका जन्म:- हिमाचल प्रदेश में हुआ , बचपन दिल्ली में और अब पूरे  भारतभर में यायावरी, पिछले कई सालों से कार्टून बना रहे हैं . 'लोटपोट' हिन्दी बाल साप्ताहिक के लिए 'चिंम्पू' और 'मिन्नी' भी बनाये...इनकी शिक्षा:- साहित्य और, प्रबंधन में स्नातकोत्तर है .ये अपने बारे में विस्तार से कुछ इसप्रकार वयां करते हैं- " चार कारणों के चलते मैं कभी किसी से कोई बहस नहीं करता..क्योंकि मेरी बातें अंतर्विरोधी लगती हैं, मेरे फंडे शुरू से ही गोल हैं, सामने वाले को पक्का पता है कि वही सही है और चौथे, क्योंकि मुझे पता है कि मैं निश्चित हार जाउंगा. " ब्लोगोत्सव-२०१० हेतु इन्होने विशेष रूप से सात कार्टून्स भेजे हैं . इन कार्टून्स को देखिये और महसूस कीजिये समकालीन सच को -





8 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा… 5 मई 2010 को 12:05 pm बजे

मुझे तो मानवाधिकार कार्यकर्ता बचा लेगें,तुझे कौन बचाएगा।

मारा पापड़ वाले को,जोरदार चुटकी।
काजल कुमार जी के कार्टुन की यही विशेषता है।
तीखा वार-सावधानी से करते हैं

आभार

Unknown ने कहा… 5 मई 2010 को 12:22 pm बजे

गज़ब की नज़र और गज़ब की कारीगरी है काजल कुमार जी के कार्टूनों में........

आनन्द आ गया

अविनाश वाचस्पति ने कहा… 5 मई 2010 को 5:46 pm बजे

काजल जी के कार्टून देखकर
देखने वाला जल नहीं मांगता
जल जाता है।

अविनाश वाचस्पति ने कहा… 5 मई 2010 को 5:46 pm बजे

काजल जी के कार्टून देखकर
देखने वाला जल नहीं मांगता
जल जाता है।

mala ने कहा… 5 मई 2010 को 7:47 pm बजे

बहुत बढ़िया

रश्मि प्रभा... ने कहा… 5 मई 2010 को 9:59 pm बजे

इस उंचाई की क्या तारीफ करूँ !

Alpana Verma ने कहा… 9 मई 2010 को 12:04 pm बजे

वाह!एक से बढ़कर एक प्रस्तुति!

Himanshu Pandey ने कहा… 27 मई 2010 को 7:15 am बजे

गज़ब के कार्टून्स !
काजल जी का क्या कहना ! आभार ।

 
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