tag:blogger.com,1999:blog-9184571002559802353.post5867992313286110750..comments2023-09-05T21:18:29.709+05:30Comments on ब्लॉगोत्सव २०१०: कविता रावत की दो कविताएँरवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-9184571002559802353.post-75342187970563555792010-05-26T23:10:18.087+05:302010-05-26T23:10:18.087+05:30"दीन-हीन दया पात्र हूँ नहीं मैं" आत्म-सम..."दीन-हीन दया पात्र हूँ नहीं मैं" आत्म-सम्मान बचाये रखने की सीख। न माँगें किसी से भीख्। सुन्दर प्रस्तुति! बधाई।सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9184571002559802353.post-67212664272036741482010-05-26T20:13:47.045+05:302010-05-26T20:13:47.045+05:30मानवीय जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती रचना ह...मानवीय जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती रचना हेतु शुभकामनाएं।गीतेशhttps://www.blogger.com/profile/14766567920202691433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9184571002559802353.post-50508797000314864982010-05-26T20:11:45.167+05:302010-05-26T20:11:45.167+05:30सही व सटीक लगा..बहुत बढियासही व सटीक लगा..बहुत बढियाmalahttps://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9184571002559802353.post-11455160005993885462010-05-26T16:28:31.357+05:302010-05-26T16:28:31.357+05:30दीन-हीन दया पात्र हूँ नहीं मैं
फिर भी देख मुझ पर ...दीन-हीन दया पात्र हूँ नहीं मैं <br />फिर भी देख मुझ पर कोई दया जताता है <br />आहिस्ते से छिड़कते नमक छुपे घाव पर <br />नहीं कोई 'रिसते घाव' को सहलाता है.<br />कविता जी वैसे भी बड़ी कुशलता के साथ भावों को व्यक्त करतीं हैं. यहां भी आपकी वही विशिष्ट शैली दिखाई दे रही है. बधाई.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.com